योग्यता ना होने पर भी निदेशक का पद संभाल रहे आर पी सिंह ,N I S संघ
लखनऊ /लालबाग़ पार्क में उ०प्र० के सारे डिप्लोमाधारी एन.आई.एस. खेल खेल प्रशिक्षक की बैठक हुई जिसमें पिछले 6 माह से कोचिंग कैम्प बन्द है। जो कि प्रशिक्षण शिविर का नवीनीकरण 01/04/2020 से होना था नहीं हुआ है। कोविड-19 के अंतर्गत केंद्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में किसी सरकारी व गैर सरकारी कर्मचारी को वेतन देने के लिए आदेश दिया गया। किन्तु उ०प्र० खेल निदेशक महोदय ने 01.04.2020 से नवीनीकरण नहीं किया गया न ही किसी प्रकार का मानदेय दिया गया जिसके कारण उ०प्र० के समस्त खेल प्रशिक्षक भूखमरी के कगार पर पहुंच चुके हैं। और पारिवारिक रूप से टूट चुके हैं।
खेल निदेशक लगभग 8 वर्षों से पद ग्रहण किये हैं। जिसमें कि सरकार द्वारा 10 माह का प्रशिक्षण शिविर आवंटित किया जाना सुनिश्चित है एवं दो माह का रिफ्रेशर कोर्स निर्धारित किया गया है परन्तु ये सभी कागजों में ही सम्मिलित है।
विगत 10 वर्षों में कभी भी पूरे 10 माह प्रशिक्षण शिविर नहीं चला और न ही 2 माह का रिफ्रेशर कोर्स हुआ।
खेल विभाग द्वारा प्रशिक्षको से कहीं अन्यत्र किसी सरकारी या गैर सरकारी संस्थान में सेवा नहीं दे सकते हैं। इसका अनुबंध लिया जाता है और प्रशिक्षण शिविर अधिकतम 6-7 माह तक ही होता है।
इसके पश्चात विभाग आउटसोर्सिंग की बात कर रहा है। क्या इसमे सभी तकनीकी जानकार हैं। यह बड़ा यक्ष प्रश्न उ०प्र० खेल निदेशक प्रशिक्षको की समस्या का समाधान न करके दमनकारी नीति अपनाकर प्रशिक्षकों को अपंग करने में लगे है।
विदित हो कि खेल निदेशक पूर्व में गोमती नगर स्टेडियम करोड़ो रूपये के घोटाले में संलिप्त पाए गए थे और ससपेंड भी हुए थे। जिसकी जांच का परिणाम अभी तक स्पष्ट नहीं है।
खेल निदेशालय द्वारा उ०प्र० के विभिन्न जिलों में 1 करोड़ का जिम प्रस्तावित किया था। निदेशक द्वारा पुराने जिम को सुधार कर दिया। जिसकी जांच की आवश्यकता है।इसके अतिरिक्त कई ऐसे मामले हैं जिनमे बड़ी संख्या में निदेशक द्वारा अनियमितताएं की गई है। जिसकी जांच की अति आवश्यक है।
उपयुर्क्त निदेशक पद आई.ए.एस. या वरिष्ठ पी.सी.एस. का पद होता है परन्तु वर्तमान निदेशक के पास ऐसी कोई योग्यता नहीं है।
उक्त विषय में जब खेल जगत ने निदेशक उत्तर प्रदेश से संपर्क साधने का प्रयास किया गया तो संपर्क नहीं हो सका ।