खेलकूद के मैदानों की कमी के कारण गिर रहा है शारीरिक और मानसिक स्तर

शाहजहांपुर:अनुज मिश्र से तहसील प्रभारी विपिन अग्निहोत्री की वार्ता पर आधारित - कहने में समाज आज बहुत ही आगे बढ़ गया है और विज्ञान के चमत्कारों ने मनुष्य को अंतरिक्ष तक पहुंचा दिया है। कंप्यूटर की दुनिया ने मनुष्य का काम बहुत ही आसान कर दिया है क्योंकि जिस कार्य को करने में पहले उसको घंटों का समय लगता था वही कार्य मिनटों में होने लगा जोकि बहुत ही सार्थक बात है क्योंकि टेक्नोलॉजी के दम पर कम समय में मनुष्य चांद पर पहुंचने लगा है वहीं दूसरी तरफ मनुष्य के शरीर की दक्षता कम हो रही है उसका मूल्यांकन कर सकते हो कि पहले मनुष्य हजारों वर्ष जीता था ऐसा पुराणों में वर्णित है ।उसके बाद मनुष्य की उम्र का लगातार पतन होने लगा आज विरले ही लोग सौ वर्ष जी पाते हैं उसका कारण है इस शरीर रूपी इंजन की उतनी क्षमता नहीं है। अब नई -नई इमारतें बनती जा रही हैं कालोनियों का विकास होता चला जा रहा है ,जगह-जगह स्कूलों की इमारतें बनती जा रही हैं परंतु खेलकूद के मैदानों की उचित व्यवस्था नहीं की जा रही है जिसके कारण छात्र और छात्राओं में खेलकूद के प्रति जागरूकता का अभाव रहता है। छात्र और छात्राएं स्कूल के दिनों में ही व्यायाम ,कबड्डी ,खो-खो ,फुटबॉल, क्रिकेट, बास्केटबॉल और तमाम खेलों पर अगर ध्यान दें तब राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भारत का सिर ऊंचा कर सकते हैं और भारत का नेतृत्व कर सकते हैं और जो लोग बचपन से इन कार्यों में आगे रहते हैं वही भारतवर्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं और वही लोग उदाहरण के तौर पर मिसाल बन जाते हैं। पहले जब रिश्वत नहीं चलती थी तब खेलकूद के मैदान भी होते थे आज नियमों को इतना जटिल बना दिया गया है उसके बावजूद रिश्वतखोरी जैसी दीमक ने सारे नियमों को ताक पर रख दिया है और नई नई कॉलोनी और स्कूलों की मान्यताओं की सारी अहर्ताएं ऐसी पूरी हो जाती है क्योंकि चढ़ावा सब कुछ करवा देता है।मनुष्य की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता सभी प्राणियों की अपेक्षा इसके मस्तिष्क का विकास सर्वाधिक विकसित होना है | इसी के बल पर इसने न केवल पूरी दुनिया पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया है, बल्कि निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है | यदि व्यक्ति का मस्तिष्क स्वस्थ न रहे तो इसका प्रतिकूल प्रभाव उसके जीवन पर पड़ता है | किसी भी व्यक्ति के मस्तिष्क तभी स्वस्थ रह सकता है जब उसका शरीर भी तंदरूस्त रहे | इसीलिए कहा गया है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है | अतः एक व्यक्ति को शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना आवश्यक है | और, खेल व्यायाम का एक ऐसा प्रकार है जिसमें व्यक्ति का शारीरिक ही नहीं बल्की मानसिक मनोरंजन भी होता है | इस तरह मस्तिष्क के शरीर से और शरीर के खेल से पारस्परिक संबंधों को देखते हुए यह स्पष्ट हो जाता है कि खेल-कूद व्यक्ति के बहुमुखी विकास के लिए आवश्यक है |स्वास्थ्य की दृष्टि से खेल-कूद के कई लाभ हैं- इससे शरीर की मांसपेशियां एवं हड्डियाँ मजबूत रहती हैं | रक्त का संचार सुचारु रुप से होता है | पाचन क्रिया सुदृढ़ रहती है | शरीर को अतिरिक्त ऑक्सीजन मिलती है और फेफड़े भी मजबूत रहते हैं | खेल-कूद के दौरान शारीरिक अंगों के सक्रिय रहने के कारण शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है | इस तरह खेल मनुष्य के शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है |खेल केवल मनुष्य के शारीरिक ही नहीं मानसिक विकास के लिए भी आवश्यक है | इससे मनुष्य में मानसिक तनावों को झेलने की क्षमता में वृद्धि होती है | खेल-कूद की इसी महत्ता को स्वीकार करते हुए स्वामी विवेकानंद ने कहा था, “यदि तुम गीता के मर्म को समझना चाहते हो तो खेल के मैदान में जाकर फुटबॉल खेलो |” कहने का तात्पर्य यह है कि खेल-कूद द्वारा शरीर को स्वस्थ करके ही मानसिक प्रगति हासिल की जा सकती है |महान दार्शनिक प्लेटो ने कहा था, “बालक को दंड की अपेक्षा खेल द्वारा नियंत्रित करना कहीं अधिक अच्छा होता है | बाल्यावस्था से लेकर किशोरावस्था का दौर व्यक्ति के शारीरिक ही नहीं, मानसिक विकास की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है | इस दौरान यदि उसकी उर्जा का सदुपयोग न हो, तो उसके गलत राह पर चल पड़ने की संभावना बनी रहती है |” इसलिए अच्छे शैक्षणिक संस्थानों में अवकाश के समय बच्चों को खेल-कूद में व्यस्त रखा जाता है जिससे अध्ययन या खेल-कूद के अतिरिक्त उनका ध्यान कहीं और न भटके | इसका एक और लाभ यह होता है कि इससे संस्थान में अनुशासन स्थापित करने में भी सहायता मिलती है | इस तरह खेल-कूद से व्यक्ति में संयम, दृढता, गंभीरता, एकाग्रता, सहयोग एवं अनुशासन की भावना का विकास होता है | खेल-कूद में होने वाली हार और जीत जीवन में भी सफलता एंव असफलता के समय संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देती है |

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