ओमान मे भारतीय हाकी व संस्कृति के राजदूत नकवी साहब का इंतकाल
दिल्ली/भारतीय हाकी महिला और पुरुष दोनों टी मो के कोच रहे और मेजर ध्यानचंद के सबसे निकटस्थ रहे एस ए एस नक्वी अब हमारे बीच नही रहे ।भारतीय हाकी और ओमान हाकी और खेलो की सेवा करते हुये कल ओमान के रॉयल हॉस्पिटल मे उन्होने 90 वर्ष की उम्र् मे अन्तिम सांस ली।
नक़वी साहब दुनिया के महानतम हाकी खिलाड़ी और हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद ,के डी सिंह बाबू, किशन लाल के सबसे निकटस्थ साथियों मे से रहे है। विशेषकर मेजर ध्यानचंद के साथ उनकी अनेको यादे जुड़ी हुई है । मै सौभाग्यशाली रहा की मैने नकवी साहब के साथ खेला भी और उनसे हाकी का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया।
नकवी साहब1960_ 19 70 के दशक मे वेस्टर्न रेलवे के स्टार खिलाड़ी हुआ करते थे और मैने भी अपनी हाकी को टूर्नामेंटस मे खेलना शुरू किया था। इसी दौरान मुझे मुंबई मे आयोजित रामलाल हाकी टूर्नामेंट मे उनके साथ खेलने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ मै लेफ्ट इन पोजीशन पर खेल रहा था और नकवी साहब राइट आउट बलबीर सिंह रेलवे सेन्टर फॉरवर्ड गुरुबुक्स सिंह राइट इन और करीम साहब लेफ्ट आउट खेला करते थे क्या सुन्दर समन्वय गति , हाकी की कला देखने खेलने और सीखने को मिलती थी। उस समय एक से बढ़कर हाकी खिलाड़ी देश की हाकी की सेवा देने के लिये कतार मे खड़े होते थे और भारतीय हाकी टीम मे चयन अत्यंत दुष्कर कार्य होता था यही कारण था की नकवी साहब मे प्रतिभा होने के बावजूद वे भारतीय हाकी टीम का प्रतिनिधित्व तो नही कर सके किंतु उन्होने अपने हाकी के ज्ञान और हुनुर को भारतीय हाकी की सेवा मे लगा दिया और 1973 एम्स्टर्डम विश्व कप भारतीय हाकी टीम से नकवी साहब बतौर कोच जुड़े और यह कोचिंग केम्प बॉम्बे हाकी एसोसिएशन के खुले मैदान पर लगा था जहा खुले मैदान और आसमान मे सीढियों के नीचे खाली पडी जगह मे बैठे हम लोग हाकी की बारीकियों को सीखते और खुशी खुशी अपने खेल का आनंद लेते और विश्व कप खेलने की तैयारियां किया करते ।बाद मे नकवी साहब 1975 विश्व कप मे भारतीय महिला हाकी टीम के साथ बतौर सहायक कोच कार्य करने लगे तत्पश्चात नकवी साहब 1978 विश्व कप मे भारतीय महिला हाकी टीम के मुख्य कोच बने और अपनी बेहतरीन सेवा से भारतीय हाकी को निखारते रहे ।
कालांतर मे वे भारत से ओमान चले गये और वहाँ अपनी सेवा खेलो के और हाकी के विकास के लिये देने लगे उनके ही प्रयासो से ओमान ओलंपिक कमेटी का निर्माण हुआ और वे 18 वर्षो से अधिक ओमान ओलंपिक कमेटी से जुड़े रहे और वे ओमान ओलंपिक कमेटी के संस्थापक सद्स्य रहे । उसी दौरान उन्होने 5 ओलंपिक खेलो मे ओमान का प्रतिनिधित्व किया और वे हमेशा भारत और ओमान के संबंधो को खेलो के माध्यम से मजबूती प्रदान करते रहे ।
उनका भारतीय हाकी और मेजर ध्यानचंद के प्रति प्रेम ओमान मे भी वैसा ही बना रहा जैसा वे भारत मे रहकर भारतीय हाकी और मेजर ध्यानचंद के प्रति प्रेम और सेवा का भाव रखते थे और सच पूछा जाये तो वे ओमान मे भारत की हाकी और संस्क्रति के राजदूत के रूप मे कार्य करते रहे और यही वजह रही की उन्हे indo oman frendship अवार्ड से ओमान खेल मंत्रलाय और ओमान मे भारतीय दूतावास द्वारा संयुकत रूप से उन्हे सम्मानित किया गया ।29 अगस्त को मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन ओमान मे उसी हर्ष के साथ मनाया जाता रहा है जैसे भारत मे मेजर ध्यानचंद का जन्म दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप मे मनाया जाता है और इसका पूरा श्रेय नकवी साहब को जाता है जो वास्तव मे सच्चे दिल से मेजर ध्यानचंद और भारतीय हाकी को चाहने वालों मे से एक थे।मुझे से बाबू जी को लेकर कई कई मिनटो टेलीफोन पर बात होती बाबू जी की सादगी, सरलता
और उनके साथ बिताए पलो को वे लगातार याद करते उनके साथ बातचीत करते मुझे लगता की बाबू जी मेरे आसपास ही कही मौजूद है वे बातचीत मे एसे डूब जाते की मुझे बाबू जी की मौजूदगी का एहसास करा देते थे।आज वास्तव मे मैने मेजर ध्यानचंद, के डी सिंह बाबू ,किशन लाल भारतीय हाकी को दिल से चाहने वाले एक नेक दिल इंसान को खो दिया जो भारतीय हाकी के स्वर्णिम पृष्ठो को अपने दिल मे साथ लिये भारत ओमान खेलो की ता उम्र सेवा करते रहा आज उनके निधन से मै और पूरा भारतीय हाकी खेल जगत शोकाकुल और शोक के सागर मे डूब गया है हम सभी भारतीय हाकी खिलाड़ी , खेल प्रेमी नकवी साहब को अपने श्रदा सुमन अर्पित करते हुए श्रधान्जली देते है।