परंपरागत खेलों के साथ भूले-बिसरे प्राचीनतम खेलों को भी देंगे बढ़ावा,नवनीत सहगल
राज्य गदा जोड़ी (मुग्दर) चैंपियनशिप में शामिल यूपी के विभिन्न जिलों के 51 पहलवान
देश में पहली बार हुई राज्य स्तर की गदा जोड़ी (मुग्दर) चैंपियनशिप
लखनऊ/ भारत के परंपरागत प्राचीनतम खेलों में शुमार मुग्दर यानि गदा जोड़ी की आज चर्चा होती है तो आज की युवा पीढ़ी के मन में ये सवाल जरुर उठता होगा कि ये कौन सा खेल होता है। इन सवालों का जवाब चौक स्टेडियम के लालजी टंडन बहुउद्देशीय हाल में आयोजित राज्य गदा जोड़ी (मुग्दर) चैंपियनशिप में देखने को मिला।
उत्तर प्रदेश नॉन ओलम्पिक एसोसिएशन एवं उत्तर प्रदेश गदा जोड़ी (मुग्दर) एसोसिएशन के तत्वाधान में भारत में पहली बार हो रही इस तरह की चैंपियनशिप में उत्तर प्रदेश के आगरा, मथुरा, झांसी, वाराणसी, भदोही, मिर्जापुर, जौनपुर, चंदौली, देवरिया व मेजबान लखनऊ के 51 पहलवानों ने 10 विभिन्न श्रेणियों में अपने कौशल का प्रदर्शन किया जिसके देखकर मौके पर मौजूद खेल प्रेमियों ने खूब तालिया बजायी।
इसमें सबसे अधिक वाहवाही वाराणसी के 75 वर्षीय श्रीधर मिश्रा को मिली। उन्होंने 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में जोड़ी की स्पर्धा में 50 फेरा (राउंड) पूरी करते हुए पहला स्थान हासिल किया। इसके अलावा 26 फेरे के साथ जौनपुर के अवध नारायण यादव दूसरे व जौनपुर के ही महेंद्र यादव 25 फेरे के साथ तीसरे स्थान पर रहे। इसमें जोड़ी का वजन 40 किग्रा रहा।
60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में गदा स्पर्धा में श्रीधर मिश्रा ने कमाल दिखाया। उनको इस वर्ग में जोखू पहलवान से कड़ी चुनौती मिली। दोनों ने 51-51 फेरे पूरे किए। इसके बाद निर्णायकों ने दोनों को ही संयुक्त विजेता घोषित कर दिया। वहीं युवाओं में मिर्जापुर के हंसराज यादव गोलू ने भी दोहरे खिताब जीते। उन्होंने गदा (30 से 60 वर्ष) और जोड़ी (30 वर्ष से कम) में पहला स्थान हासिल किया।
समापन समारोह में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (खेल) नवनीत सहगल ने खिलाड़ियों को पुरस्कार बांटकर सम्मानित किया। उन्होंने अपने संबोधन में इस आयोजन की पहल को सराहा और इस अनूठी प्रतियोगिता को कराने के लिए आयोजकों को साधुवाद दिया। उन्होंने इस बात की खुशी जताई कि परंपरागत खेलों के साथ भूले-बिसरे प्राचीनतम खेलों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार इस दिशा में प्रयास करेगी कि ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े व परंपरागत देशी खेलों को भी प्रोत्साहन मिले। हम इन खेलों को बढ़ावा देने के लिए और आयोजन का स्तर बढ़ाने के लिए काम करेंगे ताकि ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े परंपरागत खेलों के खिलाड़ियों को नयी पहचान मिले। इस दौरान 75 वर्षीय श्रीधर मिश्र ने कांटे वाली और सामान्य दोनों तरह की गदा चलाकर सबको रोमांचित कर दिया। वहीं वाराणसी के ही मिठ्ठू पहलवान ने कांटे वाली जोड़ी चलायी।
समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश नॉन ओलम्पिक एसोसिएशन एवं उत्तर प्रदेश गदा जोड़ी (मुग्दर) एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय दीप सिंह (रिटायर्ड आईएएस) ने अनुरोध किया कि गदा जोड़ी खेल को खेलो इंडिया गेम्स में भी जगह मिले। उन्होंने कहा कि इसका खोया गौरव लौटाने के लिए उत्तर प्रदेश नॉन ओलम्पिक एसोसिएशन एवं उत्तर प्रदेश गदा जोड़ी (मुग्दर) एसोसिएशन ने अनूठी पहल की है।
एसोसिएशन के महासचिव श्री एके सक्सेना ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने मुख्य अतिथि से अनुरोध किया कि उत्तर प्रदेश नॉन ओलम्पिक एसोसिएशन एवं उत्तर प्रदेश गदा जोड़ी (मुग्दर) एसोसिएशन को उत्तर प्रदेश सरकार से एनओसी व मान्यता दिलाई जाये ताकि ग्रामीण खेलों को नयी गति दी जा सके और खिलाड़ियों को मुख्य धारा से जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि हमारी अगले वर्ष इस खेल की राष्ट्रीय प्रतियोगिता कराने की योजना है। इससे पहले प्रतियोगिता का शुभारंभ भानुप्रताप सिंह (आईपीएस, रिटायर्ड) पूर्व महानिदेशक सर्तकता एवं सदस्य रेरा के कर कमलों द्वारा किया गया था।
बताते चले कि गदा जोड़ी (मुग्दर) भारत का प्राचीनतम परम्परागत खेल है जिसका उन्लेख द्वापर युग में भी मिलता है, जहां भगवान कृष्ण बलदाउ द्वारा भीम व दुर्योधन जैसे प्रशिक्षित महाबली योद्धाओं के शौर्य के सभी कायल थे। इस खेल के जनक त्रेता युग के भगवान बजरंगबली स्वयं है जबकि आज यह हमारे कुछ अखाड़ों तक सीमित रह गया है।
जोड़ी (60 वर्ष से अधिक)
प्रथम : श्रीधर मिश्रा (वाराणसी) 50 फेरा, द्वितीय : अवध नारायण यादव (जौनपुर) 26 फेरा, तृतीय : महेंद्र यादव (जौनपुर) 25 फेरा (जोड़ी का वजन 40 किग्रा)।
गदा (60 वर्ष से अधिक)
संयुक्त विजेता : श्रीधर मिश्रा व जोखू पहलवान (वाराणसी) 51-51 फेरा (गदा का वजन 30 किग्रा)
गदा (30 वर्ष से कम)
प्रथम : सूरज यादव (देवरिया) 68 फेरा, द्वितीय : विनय यादव (वाराणसी) 66 फेरा, तृतीय : शिवम यादव (जौनपुर) 36 फेरा (गदा का वजन 30 किग्रा)
ओपन श्रेणी नाल (सभी आयु वर्ग)
प्रथम : रफीउद्दीन (वाराणसी) 25 फेरा, द्वितीय : उदय प्रताप यादव (जौनपुर) 12 फेरा, तृतीय : बाबू पहलवान (वाराणसी) 8 फेरा (नाल का वजन 45-45 किग्रा), विशेष पुरस्कार : उदय प्रताप यादव (जौनपुर) 2फेरा (नाल का वजन 85 किग्रा)
दो कांटे वाली जोड़ी एक साथ (सभी आयु वर्ग)
प्रथम : मिठ्ठू पहलवान (वाराणसी) 41 फेरा, द्वितीय : जोखू यादव (वाराणसी) 40 फेरा, तृतीय : देवेंद्र सिंह (आगरा) 29 फेरा- (जोड़ी का वजन 30 किग्रा)
जोड़ी (30 वर्ष से कम)
प्रथम : हंसराज यादव गोलू (मिर्जापुर) 70 फेरा, द्वितीय : सुरेश (लखनऊ) 35 फेरा, तृतीय : अभिषेक आर्य (झांसी) 23 फेरा (जोड़ी का वजन 60 किग्रा)
दो गदा एक साथ (सभी आयु वर्ग के लिए)
प्रथम : जोखू पहलवान (वाराणसी) 49 फेरा, द्वितीय : श्रीधर मिश्रा (वाराणसी) 48 फेरा, तृतीय : नीरज यादव (जौनपुर) 45 फेरा (गदा का वजन 85 किग्रा)
एक कांटे वाली जोड़ी (सभी आयु वर्ग के लिए)
प्रथम : मिठ्ठू (वाराणसी) 174 फेरा, द्वितीय : जोखू (वाराणसी) 116 फेरा (जोड़ी का वजन 80 किग्रा)
गदा (30 से 60 वर्ष)
प्रथम : हंसराज यादव गोलू (मिर्जापुर) 51 फेरा, द्वितीय : सुरेश कुमार यादव (वाराणसी) 37 फेरा, तृतीय : विजय यादव (चंदौली) 32 फेरा (गदा का वजन 30 किग्रा)
एक जोड़ी (30 से 60 वर्ष)
संयुक्त विजेता : मो. रिजवान (वाराणसी) व ओम प्रकाश (वाराणसी) 70-70 फेरा (जोड़ी का वजन 70 किग्रा), संयुक्त द्वितीय : शोएब (वाराणसी) व निहाल (वाराणसी) 48 फेरा (वजन 48-48 किग्रा), तृतीय : महेंद्र यादव (जौनपुर) 46 फेरा (वजन 48 किग्रा)