नही रहे समाजवाद के जीवंत प्रतिमान डॉ विजय मित्र द्विवेदी
लखनऊ/हमारे मध्य से एक ऐसे व्यक्तिव ने अंतिम सांस ली है जिसकी कमी कभी पूरी नही हो सकेगी। सौम्यता , सरलता , और सहृदयता के सभी प्रतिमान जिनके विराट व्यक्तित्व के आगे बौने पड़ जाते थे तथा वे श्री विजय मित्र द्विवेदी जी एक तरफ जिनके राष्ट्र को बदलने के जज्बे के आगे युवाओं का जोश भी फीका पड़ जाता था और दूसरी तरफ गरीबों , मजबूरों और जरूरतमंदों की पीड़ा जिनकी धमनियों में बहती थी जिसका एक जीता जागता उदाहरण वैश्विक कोरोना महामारी थी,जब वे खुद इस बीमारी से ठीक हो कर जरूरतमंद लोगों की दवाइयों और भोजन की व्यस्था में लग जुट गए थे, हर दिल अजीज वही द्विवेदी जी जो न जाने कितने युवाओं को स्वावलंबी समावेशी और राष्ट्रभक्त बनने के सपने देकर दिनांक 02/01/2024 को उन्होंने अपनी आंखे मूंद ली और हमेशा हमेशा के लिए हम सबको छोड़ कर स्वर्ग लोक को चले गए।
श्री द्विवेदी जी एक राष्ट्रीय स्तर के एथलीट थे खासकर रनिंग और हाकी में उनकी विशेष रुचि थी।
जैसे चक्की के दो पार्ट होते हैं लेकिन जब वह चलती है तो एक ही मालूम पड़ती है ठीक उसी प्रकार से 60 के दशक में जब श्री द्विवेदी जी दौड़ते थे तो उनके दोनो पैर एक ही नजर आते थे और उन दिनों वे 100 और 200 मीटर रेस में यूपी चैंपियन होते थे, इन खेलों में उन्होंने देश और प्रदेश स्तर पर खूब नाम कमाया था और लोगों के बीच चकैया गुरु के नाम से मशहूर थे।
वे हॉकी के पितामह कहे जाने वाले के डी सिंह बाबू के करीबी शिष्यों में से एक थे
वे एक कुशल खेल प्रशिक्षक भी थे । द्विवेदी जी डी ए वी डिग्री कॉलेज लखनऊ के शारीरिक शिक्षा विभाग से रीडर के पद से रिटायर होने के बाद भी विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से प्रदेश में खेलों के उत्थान और समाज सेवा के लिए सदा प्रयासरत रहे।
एक बात जो बहुत कम लोग ही जानते हैं कि स्वर्गीय द्विवेदी जी आजीवन एक प्रखर कांग्रेसी रहे और स्वर्गीय श्री संजय गांधी जी और पूर्व मुख्य मंत्री श्रीपति मिश्र जी के भी बहुत ही करीबी थे।
उनके अचानक स्वर्गलोक गमन से देश और प्रदेश के लोगों खासकर के खेल प्रेमियों और समाज सेवियों में शोक की लहर दौड़ गई ।
हमारी यही प्रार्थना है की ईश्वर इनकी पवित्र आत्मा को शांति प्रदान करते हुए अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करे और शोक संतप्त उनके परिजनों को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
ॐ शांति शांति शांति ॐ