रमणरेती में लौट लगाने की परंपरा
रमणरेती में लौट लगाने की परंपरा
मथुरा : श्री रमणरेती भगवान बालकृष्ण की क्रीड़ास्थली है | गर्ग-संहिता में रमणरेती की स्थिति से सम्बंधित स्पष्ट प्रमाण निम्नवत प्राप्त होता है ।
वृन्दावन समीपे मथुरा -निकटे शुभे
श्री महावन - पार्श्वे च सैकते रमणस्थले
भगवान बालकृष्ण की इस सुरम्य क्रीड़ास्थली की खोज महाप्रभु वल्लभाचार्य जी ने अपनी दिव्य आध्यात्मिक दृष्टि से की| ब्रम्हवैवर्त एवं गर्गसंहिता के आधार पर यह निश्चित है के भगवान ने अपने अग्रज दाऊ एवं हरी, तोष आदि सखाओं के साथ इस स्थल को कभी नृत्य करके, कभी खेलकर एवं कंदुकआदि क्रीड़ा के द्वारा पवित्र किया था| 'रमणरेती जायके लौटे सब व्रजवार ' ऐसी दिव्य एवं पवित्र रमणरेती को संतों ने अपनी आध्यात्मिक साधना हेतु स्वीकार करके उसका तीर्थत्व अनवरत बनाये रखा है ।
देशभर तीर्थयात्री मथुरा वृंदावन श्री कृष्ण जन्म भूमि दर्शन करने के उपरांत रमणरेती मैं अपने आप को उलट-पुलट करते हुए अपने आप को बाल अवस्था में ले जाते हैं और आनंद की अनुभूति प्राप्त होती है ऐसा तीर्थयात्रियों से खेल जगत की वार्ता पर उन्होंने बताया।