ओलंपिक खेलों में भारतीय नक्षत्र , एमसी मैरी कॉम

2012 की ओलंपिक खेल यूरोप के इंग्लैंड के लंदन शहर में आयोजित यह ओलंपिक खेल भारतीय इतिहास का अब तक का सबसे अच्छा ओलंपिक माना जाता है क्योंकि इन खेलों में भारत ने अब तक हुए आयोजित ओलंपिक खेलों में सर्वाधिक पदक जीते बॉक्सिंग कुश्ती बैडमिंटन निशानेबाजी में भारत में पदक जीते लंदन ओलंपिक में भारत ने कुल 6 मेडल जीते जो कि अब तक का भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। लंदन ओलंपिक में बॉक्सिंग महिला वर्ग में प्रथम बार आयोजित हुई और प्रथम बार भारत की तरफ से मैरी कॉम ने इसमें भाग लिया और भारत के लिए कांस्य पदक जीता मैरी कॉम का जीवन बॉक्सिंग के प्रति समर्पण बॉक्सिंग के प्रति लगाव उनकी निरंतरता उनका संयम उनका साहस दर्शाता है कि वह कितनी जीवट और धैर्यवान खिलाड़ी हैं।

मैरी कॉम भारत के नार्थ ईस्ट राज्य से हैं जहां बॉक्सिंग खेल का प्रचलन है नार्थ ईस्ट ने भारत को बहुत अच्छे बॉक्सर दिए हैं जिन्होंने भारत की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाई ।

मैरी कॉम का पूरा नाम मांगते चुगनेजंग मेरी कोम है मेरी का जन्म 1 मार्च 1983 में कंगथेई मणिपुर भारत में हुआ था। इनके पिता एक साधारण गरीब किसान थे। मैरी कॉम अपने चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी इस कारण उन्हें अपने पिता के साथ खेती में भी हाथ पर आना पड़ता था और घर की जिम्मेदारी भी संभालनी पड़ती थी इन सबके बाद भी पढ़ाई की मेरी की प्रारंभिक पढ़ाई लोकटक क्रिस्चियन कॉलेज से हुई जहां वे सिक्स क्लास तक पड़ी इसके बाद संत जेवियर कैथोलिक स्कूल चली गई जहां से इन्होंने कक्षा 8 तक पढ़ाई की आगे की पढ़ाई के लिए आदिम जाति हाई स्कूल चली गई किंतु वह परीक्षा में पास नहीं हो पाई स्कूल की पढ़ाई मैरी ने बीच में ही छोड़ दी आगे उन्होंने एनआईओएस की परीक्षा दी । मेरी अपने स्कूली जीवन में एथलेटिक और फुटबॉल खेला करती थी उन्होंने कभी बॉक्सिंग में भाग नहीं लिया। बॉक्सिंग करते हुए डिंको सिंह को देखा और वही से बॉक्सिंग में आने के लिए प्रेरित हुई । अपने घरवालों को बिना बताए बॉक्सिंग सीखने लगी क्योंकि इनके घर वाले बॉक्सिंग खेल को पुरुषों का खेल समझते थे । मेरी ने स्पोर्ट्स कॉन्प्लेक्स में लड़कियों को लड़कों से लड़ते देखा तो उनके अंदर जोश आया और उनके विचार और पक्की हो गए अपने मजबूत इरादों के साथ वह अपने गांव से दूर इंफाल आ गई सिर्फ बॉक्सिंग सीखने के लिए।और अपने कोच नरजीत सिंह से मिली और उन्हें ट्रेनिंग देने के लिए निवेदन किया और इस खेल के प्रति बहुत भावुक थी साथ ही जल्द सीखने वाली विद्यार्थी थी ट्रेनिंग सेंटर में जब सब चले जाते थे तो मेरी देर रात तक अभ्यास करती थी बॉक्सिंग शुरू करने के बाद मेरी को पता चला कि उनका परिवार उनके बॉक्सिंग को कैरियर बनाने के बारे में कभी नहीं मानेगा जिस वजह से उन्होंने अपने परिवार से इस बात को छुपा कर रखा था वह 1998 से 2000 तक बिना बताए इसकी ट्रेनिंग लेती रही सन 2000 में वूमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप मणिपुर में जीत हासिल की और इन्हें बॉक्सर का अवार्ड मिला। तो यह खबर सारे समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई। तब उनके परिवार को भी उनके बॉक्सर होने का पता चला इस जीत को उनके पिता ने भी उनकी जीत का जश्न मनाया इसके बाद मेरी पश्चिम बंगाल में आयोजित वूमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया और राज्य का नाम ऊंचा किया।
सन 2001 में मैरी ने अपना अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू किया इस समय उनकी उम्र 18 साल की सबसे पहले इन्होंने अमेरिका में आयोजित aiba वूमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप 48 किलो भार वर्ग में  हिस्सा लिया। गोल्ड मेडल अपने नाम किया। सन 2003 में भारत में आयोजित वूमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में मैरी ने गोल्ड मेडल जीता इसके बाद नार्वे में आयोजित बॉक्सिंग वर्ल्ड कप में एक बार मेरी ने फिर से गोल्ड मेडल जीता। और 2003 में मैरी कॉम को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया । 2005 में ताइवान में आयोजित एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में 46 किलो भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता इसी साल रसिया में मेरी ने फिर से चैंपियनशिप जीती।
सन 2006 में डेनमार्क में आयोजित वूमेन बॉक्सिंग कप एवं वुमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में मैरी ने जीत हासिल की और गोल्ड मेडल जीता। इसी साल मैरीकॉम को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया।
सन 2007 में खेल के सबसे बड़े सम्मान राजीव गांधी खेल रखने के लिए नॉमिनेट किया गया।
2007 में लिम्का बुक रिकॉर्ड द्वारा पीपल ऑफ द ईयर का सम्मान मिला।
सन 2008 में 1 साल का ब्रेक लेकर फिर वापस आयी। भारत में आयोजित एशियन वूमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता इसके साथ ही वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में चाइना में गोल्ड मेडल जीता।इसी साल रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा रियल हॉर्स अवार्ड द्वारा सम्मानित किया गया। पेप्सी यूथ आईकॉन और द्वारा मैग्नीफिसेंट मेरी अवार्ड से सम्मानित किया गया।
2009 में वियतनाम में आयोजित एशियन इंडोर गेम्स में मैरी ने गोल्ड मेडल जीता।इसी साल मैरीकॉम को खेल के सबसे बड़े सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया ।
2010 में कजाखस्तान में आयोजित एशियन वूमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता इसी साल महीने एशियन गेम्स में 51 भार वर्ग में ब्रोंज मेडल जीता। 2010 में भारत में कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन हुआ यहां ऑफ रिंग सेरेमनी में विजेंद्र सिंह के साथ मैरी कॉम उपस्थित थी इस गेम में वूमेन बॉक्सिंग गेम का आयोजन नहीं किया गया था। इसी साल सहारा स्पोर्ट्स अवॉर्ड द्वारा स्पोर्ट्स वूमेन ऑफ द ईयर का अवार्ड दिया गया।
2011 में चाइना में आयोजित एशिया वुमेन कप में गोल्ड मेडल जीता सन 2012 में मंगोलिया में आयोजित 51 किलो भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता और इसी साल लंदन ओलंपिक में मैरी को बहुत सम्मान मिला पहली भारतीय महिला बॉक्सर थी जिन्होंने ओलंपिक के लिए क्वालिफाइड किया था यहां मैरीकॉम को 51 किलो भार वर्ग में ब्रोंज मेडल मिला इसके साथ मेरीकॉम तीसरी भारतीय महिला थी। जिन्हें ओलंपिक मेडल मिला था।
सन 2013 में देश के तीसरे बड़े सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

सन 2014 में साउथ कोरिया में आयोजित एशियन गेम्स में 48 से 52 किलो भार वर्ग में मैरी कॉम ने गोल्ड मेडल जीता और इतिहास रच दिया।

मैरी कॉम की इन सभी उपलब्धियों को देखते हुए फिल्म जगत ने उनके जीवन पर आधारित फिल्म मैरी कॉम बनाई। इस फिल्म में मेरीकॉम का किरदार प्रियंका चोपड़ा ने निभाया है।
मैरी कॉम ने 2017 को एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता।
2018 को ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता। और इसी साल भारत के नई दिल्ली में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता ।
मैरी कॉम पहली महिला भारतीय बॉक्सर है जो 6 बार की विश्व विजेता है। एक बार फिर मैरी कॉम 2021 टोक्यो जापान में होने वाले ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे और हम सभी यह आशा करते हैं कि इस बार मैं रिफॉर्म भारत के लिए एक बार फिर पदक जीतेंगी।

सुनील कुमार ननकू
संयोजक व मीडिया प्रभारी भारतीय क्रीड़ा विकास संगठन
चेयरमैन ड्रॉप रोबॉल प्रमोशन बोर्ड
भारत माता कॉलेज किशनगंज
सचिव कानपुर देहात वेट लिफ्टिंग एसोसिएशन
सचिव कानपुर देहात किक बॉक्सिंग एसोसिएशन
अध्यक्ष ननकू सिंह यादव शिक्षा एवं खेल जन सेवा संस्थान रहीमपुर अकबरपुर कानपुर देहात

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