ओलंपिक खेलों में भारतीय नक्षत्र ,योगेश्वर दत्त
कानपुर /योगेश्वर दत्त का जन्म 2 नवंबर सन 1982 हरियाणा के सोनीपत जिले के 10 भैंसवाल कलन गांव में हुआ। योगेश्वर दत्त बहुत ही अच्छी फैमिली और शिक्षित फैमिली से संबंध रखते हैं योगेश्वर दत्त का पूरा परिवार पेशेवर शिक्षक है इनके पिता का नाम राममेहर है एवं उनकी माता का नाम सुशीला देवी है योगेश्वर दत्त अपनी माता के बेहद करीब है योगेश्वर दत्त का परिवार चाहता था कि वह भी अपने परिवार की तरह शिक्षित बने परंतु योगेश्वर दत्त का ध्यान कहीं और ही था वह अपने गांव में बलराज नाम के पहलवान के कारनामे को देखकर उनमें कुश्ती के प्रति और लगाव हो गया और उन्होंने कुश्ती को वहीं से गंभीरता से लेना शुरू कर दिया। योगेश्वर दत्त ने स्कूल स्तर पर प्रतियोगिता में भाग लिया और कई प्रतियोगिताओं में जीते भी मैं अपने विश्वास को और मजबूत बनाया 1992 में जब वह पांचवी कक्षा में थे तब तो उन्होंने स्कूल चैंपियनशिप में भाग लिया और जीते भी उनके परिवारों ने उनका इस खेल में बहुत समर्थन किया सन 1994 में योगेश्वर दत्त ने पोलैंड में अंतरराष्ट्रीय स्कूल कैडैट खेलों में भाग लिया और स्वर्ण पदक जीता सन 1996 में वे अपनी पढ़ाई पूरी कर अपने माता-पिता को संतुष्ट कर कुश्ती में और अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए दिल्ली में छत्रसाल स्टेडियम में केंद्रित हो गए और तभी से उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत की।
योगेश्वर दत्त ने अपने करियर की शुरुआत 2003 मैं लंदन में आयोजित कॉमनवेल्थ खेल से की। जहां उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व कर के 55 किलो भार वर्ग में फ्री स्टाइल वर्ग में स्वर्ण पदक जीता।
वे सन् 2004 के एथेंस ओलंपिक में भारतीय कुश्ती दल का हिस्सा बने और पुरुष के 55 किलोग्राम फ्रीस्टाइल भार वर्ग में 18वें स्थान पर रहे।
योगेश्वर के पिता 3 अगस्त 2006 को स्वर्गवासी हो गए। 9 दिन पहले दोहा में आयोजित एशियाई चैंपियनशिप के लिए वह गए थे वह घुटने की चोट से भी ग्रसित थे। किंतु मैं अपने सभी भावात्मक और शारीरिक आघात को पीछे छोड़ कर 60 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक जीता।
योगेश्वर दत्त ने सन 2008 में एशियाई जेजू सिटी, दक्षिण कोरिया में आयोजित मे स्वर्ण पदक जीत कर 2008 के बीजिंग ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया। योगेश्वर का यह दूसरा ओलंपिक था परंतु इसमें असफल रहे ।
सन 2010 में दिल्ली में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग लेने के लिए अपने घुटने की चोट को पीछे रखकर भाग लिया और सभी बाधाओं से लड़ते हुए 60 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता और इसी साल उन्होंने अपने घुटने की सर्जरी कराई।
सन 2012 में कजाखस्तान अस्ताना में आयोजित एशियाई योग्यता प्रतियोगिता योगेश्वर ने रजत पदक जीतकर 2012 के ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया।
इसके पश्चात 12 अगस्त 2012 को लंदन ओलंपिक में पुरुष के फ्रीस्टाइल भार वर्ग में कांस्य पदक जीतकर उस पल को यादगार बना दिया।
1952 में केडी जाधव और 2008 और 2012 में सुशील कुमार के बाद यह तीसरे भारतीय खिलाड़ी थे जिन्होंने ओलंपिक में कुश्ती के लिए पदक जीता।इसी ओलंपिक में अपने खेल के दौरान योगेश्वर दत्त ने पहली बार अपनी फाइल-पैर घुमा तिकड़म का इस्तेमाल किया और यह उनके लिए सफल साबित हुआ।
सन 2014 में स्कॉटलैंड में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व करके बहुत ही लाजवाब प्रदर्शन किया। कॉमनवेल्थ गेम्स में अपने समस्त प्रतिद्वंदीयो को परास्त करके स्वर्ण पदक पर कब्जा किया।
इसके बाद सन् 2014 में आयोजित एशियाई खेल में भी उन्होंने 65 किलो भार वर्ग में स्वर्ण पदक पर कब्जा किया।
सन 2015 में आयोजित प्रो रेसलिंग लीग में हरियाणा हेम्मर्स की तरफ से पहले संस्करण के लिए खेलें। खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए 2012 में खेलों का सर्वोच्च पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार योगेश्वर दत्त को दिया गया। योगेश्वर दत्त एक उदाहरण है खिलाड़ियों के लिए जो निरंतर लगातार अनवरत प्रयास करते रहते हैं।
डॉ सुनील यादव