ओमिक्रोन को दे मात नियमित करें योगाभ्यास , मृदुल
शाहजहांपुर/आयुष विभाग पुराना जिला चिकित्सालय नगर शाहजहांपुर में कार्यरत योग प्रशिक्षक मृदुल कुमार गुप्ता ने बताया ओमिक्रोन के इस दौर में जब संक्रमण तेज़ी से फैल रहा है और बीमार पड़ने की संभावना भी पहले से अधिक हो गई है। खासकर ऐसे समय में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। हमारे आसपास लोग छींकते और खांसते हैं, तो हमारे शरीर के लिए रोगजनकों से दुर रहना मुश्किल होता है। हम बीमार लोगों के संपर्क में आने से नहीं बच सकते हैं, ऐसे में हम अपने शारिरिक रक्षा तंत्र को मज़बूत करने के लिए निश्चित रूप से काम कर सकते हैं।
एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाएं शरीर को बीमारी से उबरने में मदद करती हैं, लेकिन शरीर की प्रतिरोधक में सुधार करने में मदद नहीं करतीं। ऐसे वक्त में योग, शायद सबसे प्रभावी और प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला साधन है। जिसे हम स्वस्थ जीवन के लिए अपना सकते हैं। यह एक प्राचीन कला है, जो शरीर को मज़बूत करता है और मन को भी शांत करता है। आइए कुछ सरल योग आसन के बारे में जानते है जो ओमिक्रोन से लड़ने के लिए आपको एक मजबूत प्रतिरोध करने में मदद कर सकते हैं--
● *सेतुबंधासन* - यह एक अद्भुत आसन है जो हमारी छाती के साथ थाइमस को भी खोलता है, टी-कोशिकाओं के विकास के लिए जिम्मेदार एक अंग, जो प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करने और संक्रमण से लड़ने के लिए आवश्यक सफेद रक्त कोशिका का एक प्रकार है।
● *धनुरासन* - अभी तक अन्य मुद्रा है जो पाचन तंत्र पर दबाव डालकर सफेद कोशिकाओं के प्रवाह में सुधार करता है। ये आसन पेट पर दबाव डालता है, जिससे पाचन तंत्र मजबूत होता है और पेट के अंगों में रक्त का प्रवाह बढ़ाकर स्वस्थ करता है और क्योंकि पाचन तंत्र लिम्फोसाइटों से भरा है, छोटे सफेद रक्त कोशिकाएं जो आक्रमणकारियों से लड़ती हैं, इसे मजबूत करने से आपकी समग्रता और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है
● *पश्चिमोत्तानासन*
समतल जमीन पर बैठें। दोनों पैर सीधे रखते हुए कमर सीधी रखें। गहरी लंबी सांस भरते हुए दोनों हाथों को एक साथ ऊपर उठाएं। श्वास भरते हुए आगे की ओर झुकें और पंजों को हाथों से पकड़ने की कोशिश करें। जितनी सरलता पूर्वक आगे की ओर झुक सकें, झुकें और माथे को घुटने से छूने का प्रयास करें। इस स्थिति में दो-तीन मिनट तक सरलता पूर्वक रुकें। श्वास सामान्य रखें तथा ध्यान शरीर के खिंचाव तथा दबाव पर रखें। अब जिस प्रकार से आसन आरंभ किया था, उसी विपरीत क्रम से आसन को समाप्त करें।
● *भुजंगाासन* पेट के बल लेटकर किया जाने वाला आसन है। इस आसन के अभ्यास से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है। जिससे श्वसन प्रणाली में सुधार होता है साथ ही यह आसन हमारे पाचन तंत्र को भी दुररूस्त करता है। जिससे हमारे शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है ।
● *प्राणायाम* - प्राणायाम को श्वास तकनीक के रूप में जाना जाता है। वायरल संक्रमण खराब प्रतिरोधक प्रणाली के सबसे गंभीर कारणों में से एक है। जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, तो शरीर का आंतरिक वातावरण असंतुलित होता है और वायरस शरीर पर हमला करना शुरू कर देते हैं। प्राणायाम यानी श्वास तकनीक आपकी प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है प्राणायाम के माध्यम से हम अपनी सांसों को नियंत्रित करते हुए श्वासों और साँस छोड़ते हैं जो हमारे पूरे शरीर की प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करते हैं, हमारे रक्त को अधिक ऑक्सीजन प्रदान करता हैं जिसके कारण हमारा शरीर स्वचालित रूप से पुन: संतुलन और प्रतिरोधक प्रणाली को बहाल करता है।
कपालभाति प्राणायाम प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने के लिए न केवल सबसे अच्छा प्राणायाम है, बल्कि ये तनाव को भी कम करता है। आंतों की सभी समस्याओं को ठीक करता है। पूरे शरीर के अंगों में रक्त परिसंचरण में सुधार करता है