देश के भ्रष्ट तानाशाहों की बदौलत एक बार फिर भारतीय ताइक्वांडो को दुनियां के समक्ष होना पड़ रहा शर्मसार
आईओए ने टीएफआई विवाद के निस्तारण हेतु कर रखी है पाँच सदस्यों की कमेटी गठित
प्रदीप कुमार रावत
आगरा। भारतीय ताइक्वांडो महासंघ की लड़ाई अब सड़क से उठकर न्यायालय ही नहीं विश्व ताइक्वांडो महासंघ के दरवाजे पर दस्तक दे चुकी है। जिसके चलते एक बार फिर भारत के एथलीट्स को इसका खामियाज़ा भुगतान पड़ेगा। विश्व ताइक्वांडो महासंघ(डब्ल्यूटीएफ) ने टीएफआई को 10 जुलाई को निलंबित कर दिया था। जिसकी जानकारी सभी को है लेकिन कोई मुँह खोलने को तैयार नहीं है। बताते चलें कि ताइक्वांडो फैडरेशन ऑफ इंडिया(टीएफआई) अभी तक प्रभात शर्मा की कठपुतली बना हुआ था,जिसका विरोध इनके महासचिव बनने के दो-तीन महीनों में ही शुरू हो गया था। विरोध करने वाले भी वही थे जिन्होंने प्रभात शर्मा को टीएफआई का महासचिव बनाया था, लेकिन प्रभात शर्मा देश के एथलीट्स के हितों के लिए नहीं बल्कि अपने हितों को सर्वोपरि आगे रखा। बात यही तक थी तो भी किसी को परेशानी नहीं थी,लेकिन इन्होंने ताइक्वांडो को अपनी बपौती समझ लिया। टीएफआई की त्रिमूर्ति प्रभात शर्मा,चेतन आनंद और संजय शर्मा ने दो साल में इस खेल को और रसातल में पहुँचा दिया। जॉइंट सक्रेटरी को महिला खिलाड़ी के शारिरिक शोषण के आरोप में जेल जाना पड़ा,यही नहीं इन पर पीडि़तों को धमकाने के भी गंभीर आरोप लगते रहे बावजूद इसके प्रभात शर्मा तानाशाही अंदाज़ में टीएफआई को चलाते रहे। दोनों भाईयों की जुगलबंदी की जानकारी टीएफआई अध्यक्ष चेतन आनंद को हुई तो उन्होंने यह सब बंद करने को कहा लेकिन मठाधीश तो अपनी ही मस्ती में चलते रहे और आड़े आ रहे चेतन आनंद को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया। प्रभात और संजय शर्मा ने राज्य इकाइयों पर फूट डालो और शासन करो कि नीति को आगे बढ़ाया। जिसके विरोध में देश के सभी राज्य संघ गोआ के आर डी मंगेशकर के नेतृत्व में आगे बढऩे लगे और उड़ीसा में टीएफआई की आपात बैठक बुला नई कार्यकारिणी घोषित कर दी, जिसमें भारतीय ओलंपिक संघ के प्रतिनिधि भी शामिल रहे। वही से टीएफआई के दो धड़े सामने आए। आर.डी मंगेशकर की बॉडी को आगे चलकर आईओए ने मान्यता नहीं दी और मामला दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंच गया,उम्मीद की जा रही है कि दिल्ली उच्च न्यायालय जल्द ही कोई निर्णायक निर्णय सुना सकता है। वहीं आईओए ने भी टीएफआई विवाद को खत्म करने के इरादे से एक पाँच सदस्य की कमेटी गठित कर दी, जिसमें विश्व ताइक्वांडो महासंघ के एक प्रतिनिधि को भी सदस्य नामित किया गया है।
सूत्रों से जानकारी प्राप्त हुई कि विश्व ताइक्वांडो महासंघ ने टीएफआई को 10 जुलाई को निलंबित कर दिया था,जिसकी जानकारी लगभग सभी गुटों को है बावजूद इसके किसी की हिम्मत नहीं कि कोई इस बारे में दो शब्द भी कह सके। टीएफआई के निलंबित होने से भारतीय ताइक्वांडो एथलीट्स अब विश्व स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग नहीं ले सकेंगे। टीएफआई के निलंबन की पुष्टि के लिए हम डब्ल्यूटीएफ की वेबसाईट पर गए जहां पर साफ लिखा था कि टीएफआई आर सस्पेंडेड।